असंगठित क्षेत्र के श्रमिकों के लिए विधिक सेवाएं












स्वयं मिलेगीराह तुझे
जीवन के संघर्षोंमें,
कुछफूल-शूलके हार मिलेंगे
कुछविश्वास मिलेगा वर्षों में,
सुख दुख काआगम शाश्वत नहीं है पृथ्वीपर
जब भेद समयका जान गया
तो शोकाकुल क्यों नियति पर
जब कर में तेरेहै करनी का निस्सीम बल
बन न लता वृक्षबन
करप्रदान निज को संबल ,
निज जीवन जीतेहैं सब ही
कुछ औरों कोहो तो कुछ बात बने
बूंद-बूंदसा अमृत सबको
फिर कोई बरसातबने
कुछ करने कोमन में भाव सभी उछल पड़े
जब सुप्त से सजगहुई आत्मा
नीड़ से पक्षीनिकल उड़े ।



Comments

  1. जीवन में हर पल संघर्ष है,कोई प्राणी इससे अछूता नहीं है।
    "Struggle thy mane is Life"

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  2. आपकी रचना ने न्यायपालिका पर आम जनता के अटूट विश्वास को उजागर किया है, वास्तविकता भी यही है कि आजकल जिस तरह अपराधों का सिलसिला बढ़ता जा रहा है लोगों की एक मात्र उम्मीद न्यायपालिका ही है। अच्छी कविता के लिए आपका बहुत बहुत शुक्रिया।

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